हेलो दोस्तों आज हम आपके लिए लेकर आये है ध्यान (Meditation) कैसे किया जाता है तो आइये हम जानते है ध्यान के बारे मैं -
यदि आप अपने जीवन में उत्साह की कमी महसूस कर रहे हैं और आपकी भावनात्मक समस्याएं आपके काम पर असर डाल रही हैं तो आपको ध्यान का सहारा अवश्य लेना चाहिए| आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में हम सब खुशियों के पीछे भाग रहे हैं । एक विद्यार्थी अच्छें नंबरों से पास होने के लिए चिंतित रहता है, वह पास हो जाता है, पर खुशी नही होती, चिंता होती है, सोचता है जब नौकरी लग जाएगी तो खुशियां मिलेगी, नौकरी भी मिल जाती है, फिर भी वह आगे सोचता है ,प्रमोशन होने पर खुशिया मिलेगी पर उसे और आगे की चिंता होती है । वह हमेशा भविष्य की खुशियॉं पाने में लगा रहता है और वर्तमान की खुशियों को व्यर्थ जाने देता है, वह कभी यह नहीं समझ पाता कि खुशियॉं कहीं बाहर नहीं , किसी भविस्य में नहीं बल्कि अभी है, यहीं है, उसके अंदर है, उसके अंतर्मन की शांति मे है, और इस खुशी को लगातार महसूस कराने वाला माध्यम ही ध्यान है । ध्यान करने से पहले आपको कुछ तैयारी करनी होगी जैसे -
1. समय का चुनाव -
ध्यान वास्तव में विश्राम का समय है, इसलिये इसे अपनी सुविधा के अनुसार करें | ऐसा समय चुने जिसमे आप को कोई परेशान न कर सके और आप विश्राम और आनंद लेने के लिये स्वतंत्र हो | सूर्योदय और सूर्यास्त का समय जब प्रकृति दिन और रात में परिवर्तित होती है, यह समय इसका अभ्यास करने लिये सबसे अच्छा माना जाता है |
2. सही जगह को ध्यान के लिए चुनें -
सुविधाजनक समय के जैसे सुविधाजनक स्थान को चुने जहां आप को कोई परेशान न कर सके | शांत और शान्तिपूर्ण वातावरण ध्यान के अनुभव को और अधिक आनंदमय और विश्रामदायक बनाता है |
3. खाली पेट
आप खाली पेट ही ध्यान करे क्योकि भोजन से पहले ध्यान का अच्छा समय होता है |भोजन के बाद में आप को नींद लग सकती है | जब आप को काफी भूख लगी हो तो ध्यान करने का अधिक प्रयास न करें | भूख की ऐंठन के कारण आपको इसे करने में कठिनाई होगी और हो सकता है कि पूरे वक्त आप सिर्फ खाने के बारे में सोचे | ऐसें में आप भोजन के दो से तीन घंटे बाद ध्यान कर सकते हैं |
4. गहरी साँस ले
दस लंबी साँसे ले धीरे धीरे, आराम से और गहरी साँस ले और उसी तरह आराम से साँस छोंड़े । साँस छोड़ते समय दस से एक की उल्टी गिनती गिनें, याद रहे गिनती सिर्फ साँसे छोड़ते समय गिने, लेते समय नहीं।
ध्यान करे -
ध्यान में जाने के लिए हमें बाहरी दुनिया के शोरगुल से हटकर अपने अन्तर्मन की आवाज को सुनना होगा। अब अन्तर्मन की आवाज कैसे सुनी जाय, बहुत आसान तरीका है,
अगर हम बाहर की आवाजों को सुनना बंद कर देँगे तो जो आवाज रह जाएगी वही अन्तर्मन की आवाज है और इसे सुनना ही ध्यान या समाधी है। किन्तु बाहर की आवाजों के साथ-साथ कुछ आवाजें या शोरगुल हमारे अंदर भी चल रही होती है।
अब आपने आँख और कान तो बंद कर लिया पर दिमाग अब भी सोच रहा है कि कल ऑफिस जल्दी जाना है, घर का राशन खत्म हो गया, पत्नी को आज बाहर खाने पर ले जाना है बच्चों की फीस जमा करनी है और न जाने क्या क्या।
ये सांसारिक बातें जो हमारा ध्यान अपनी ओर भटकाती है किन्तु इसे दूर करना भी कठिन नहीं। जब आप अपने कान बंद करते है, तो आपको दो आवाजें सुनाई देंगी, एक आपकी धड़कन की और दूसरी साँसो की । इन दो के अलावा एक तीसरी आवाज भी है और हमे अपना ध्यान उसी आवाज पर केन्द्रित करना है । यह आवाज बिलकुल झिंगुर की तरह होती है, यकीन नहीं आता, तो आप खुद करके देख लेना धीरे- धीरे आपको अन्य आवाज़ें भी सुनाई देंगी जो आरंभ में तेज न होने के कारण सुनाई नहीं देगी पर जैसे- जैसे आप ध्यान करते जाएंगे ये आवाज़ें स्पष्ट होती जाएंगी, कभी आप धीमी गति से बह रहे नदी के जल प्रवाह की आवाज सुनेंगे तो कभी रिमझिम गिरती बारिश की बूंदों की । वे सारी आवाजें जो आप बाहरी दुनिया में सुनते हैं आप को अपने अंदर भी सुनाई देंगी और धीरे धीरे कब आप आत्म- अनुभूति की ओर कदम बढ़ा चुके होंगे आपको पता भी नहीं चलेगा।
पर याद रहे, ध्यान मे जाना एक मजेदार कार्य होना चाहिए ना की एक यातना देने वाला जैसे आपने कभी सुना होगा , दोनों भौहों के बीच ध्यान लगाना चाहिए किन्तु थोड़ी देर बाद ही इससे सर में दर्द होने लगता है और कुछ मिनट बाद हम ऊब जाते है ।
आप अपने अंदर की आवाज पर ध्यान केन्द्रित करें मस्तिष्क में चल रही आवाजों को सिर्फ सुनें, उनका विश्लेषण कदापि न करे, सुननें की चाहत भी न करें, वो खुद सुनाई देंगी, मन शांत रखें।
ध्यान से हमें मानसिक शांति मिलती है और ध्यान सिर्फ यही तक सीमित नहीं है अगर आप ध्यान की गहराई में डूबते जाये तो आपको भगवान के दर्शन, परमपिता परमात्मा के दर्शन हो सकते हैं ध्यान से आप और भी बहुत कुछ हासिल कर सकते है जिसका आप अंदाजा भी नहीं लगा सकते, बस आपको नियमित रूप से ध्यान करना है और इसे बीच में न छोड़े मतलब ऐसा न करे की आज कर लिया कल छोड दिया नहीं अगर आप ध्यान का पूरा लाभ लेना चाहते हो तो इसे रोज करने से आपको बहुत लाभ होगा।
शुरुआत में आपको कठिनाई होगी आपका मन भी इससे दूर हटने के लिए करेगा क्योकि आप कह सकते हो कि ध्यान में मन एक तरह से मरता है और जब कोई मरता है तो वो खुद को बचाने के लिए पूरा प्रयास करता है पर आप अपनी कोशिश जारी रखे एक दिन आपको इसकी आदत हो जाएगी और आप बिना किसी परेशानी के ध्यान कर पाएंगे
तो आप आज से ही ध्यान (Meditation) के इस तरीके को अपनाये और अपने जीवन को शांतिपूर्ण बनाये. हम आपके लिए तरह की और जानकारी लाते रहेंगे हमारे साथ जुड़े रहे। आपका जीवन शांतिपूर्ण और मंगलमय हो.